छोटे-छोटे टुकडे या बोटी-बोटी करना (कतरना), बनाकर बोलना
2.
उनका मन-मस्तिष्क तो बातें बनाकर बोलना जानता ही नहीं |
3.
टी वी के उद् घोषकों का “ जपैन ” बनाकर बोलना यही दर्शाता है ।
4.
सिन्हा जी मानसिकता किसी उच्चपदासीन ब्यक्ति कि नही लगती, सायद ए महसय भी किसी की मेहरबानी से आसीन है इनको तो पहले प्रवक्ता बनाकर बोलना सीखना चाहिय और महिलाओ की मर्यादा कीजानकारी भी लेनी चाहिए| बिचछिप्त मानसिकता वाला ही सोच सकता है की-“किसी का रेप हो और कोई आनन्द ले”